तुम्हारे अँधेरे मेरी ताक में हैं और मेरे हिस्से के उजाले तुम्हारी गिरफ़्त में
हाँ ग़लती वहीं हुई थी जब मैंने कहा था तुम मुझको चाँद ला के दो
और मेरे चाँद पर मालिकाना तुम्हारा हो गया
हिंदी समय में संध्या नवोदिता की रचनाएँ